Wednesday 20 May 2015

बंधन कच्चे धागों का

05.05.2015 आज देव और देविका की शादी की पाँचवी सालगिरह है। देव भूल गया था और शायद देविका भी भूल गया थी। दोनों एक-दुसरे को कम और अपने-अपने काम को ज्यादा महत्व देते थे। कहने को तो दोनों एक ही ऑफिस में काम करते थे लेकिन एक साथ एक घर कभी नहीं बसा पाए थे। कल रात देव थोड़ा जल्दी आ गया था। देखा एक नोट रखा हुआ है टेबल पर उस पे लिखा था। आज रात लेट आउंगी । क्लाइंट के साथ मीटिंग और ऑफिस में काम है। देविका का नोट था। नोट वही बेड के ऊपर फेक फ्रिज खोल दिन का खाना निकाल उसे गर्म कर खाने लगा। अब देव को आदत हो गयी थी अकेले खाना खाने की। अकेले tv देखने की। देव और देविका रोज़ घुमने जाते थे। एक साथ फ़िल्म देखते थे। हाथो में हाथ डाल देर तक बाते किया करते थे। लेकिन शादी के कुछ सालों बाद पहले जैसा कुछ भी नहीं रहा था। देव और देविका अलग-अलग खाना खाते थे। कभी अकेले तो कभी किसी कलीग के साथ। फ़िल्म तो ना जाने कब देखी थी आख़िरी बार उन्होंने। एक फ़िल्म के दौरान जब हीरो ने हेरोइन का हाथ पकड़ उसे कभी ना छोर के जाने का वादा किया था। तब देव ने भी देविका का हाथ पकड़ उसे कभी ना छोर के जाने का वादा किया था।
मै आज इस रंगीन शाम में तुमसे एक वादा करता हु। ता-उम्र तुम्हारे साथ ऐसे ही रहूँगा। देव ने देविका से उस शाम वादा किया था। देव ने आगे बोल अगर मुझे कुछ हो गया तो भी मै देविका के साथ इन हवाओ की तरह रहूँगा। तब देविका ने देव को चुप करने के लिए उसके मूहं पर ऊँगली रख दी। और देव को ज़ोर से गले लगा लिया।
शादी के कुछ साल बाद देव और देविका शायद उस शाम किये वादे को भूल गए थे। देविका कल रात लेट आई थी। तब तक देव सो चूका था। सुबह दोनों तैयार हो रहे थे ऑफिस के लिए साथ ही दोनों अपने अपने फ़ोन पर किसी क्लाइंट से बात कर रहे थे। उन दोनों को एहसास ही नही था की वहा उन के आलावा कोई और भी है। घर से निकलते वकत देव ने फ़ोन पे बात करते ही कहा था मुझे अभी क्लाइंट के पास जाना है लेट आऊंगा। देविका भी फ़ोन पे बात करते हुए सर हिला के जबाब दिया।
यही ख़ामोशी थी जो दोनों के दूर कर रही थी। ऑफिस पहुचने पर लंच ब्रेक में दोनों को उनके कलिग ने जब सालगिरह की पार्टी मांगी तब दोनों को याद आया की आज उन दोनों की शादी की पांचवी सालगिरह है। इन सालो में दोनों कितने दूर हो गये थे , उनके रिश्तो में कितनी दूरी आ गयी ये देव और देविका को आज एहसास हुआ था।
'सुनो देविका' राज ने पुकारा था। दोनों दूर तो थे लेकिन आज भी देविका देव की आवाज़ पहचान जाती थी।
' हां बोलो' देविका ने कहा।
मुझे अभी कुछ काम से क्लाइंट के पास जाना है। देव ने कहा।
ठीक है वैसे भी मुझे अभी बहुत काम है ऑफिस में। देविका ने कहा।
देव हां में सर हिला के चला गया।
अक्सर हम शायद भूल जाते है प्यार करने के तरीके। शुरुआत का प्यार हमें अच्छा लगता है पर जैसे-जैसे प्यार पुराना होता जाता है हम प्यार को भी पुराना समझ लेते है।
देविका का फ़ोन vibrate हुआ।
देव का मैसेज आया था 'मुझे तुमसे कुछ बात करनी है, मंदिर के पास मिलने आ जाओ। देविका को थोड़ा आश्चर्य हुआ लेकिन फिर वो वहा को चली गयी जहा उसने देव के साथ प्यार के प़ल बिताये थे। वहा पहुचने पर देविका ने देखा कुछ बच्चे खेल रहे थे। उनमे से एक बच्चा देविका के पास आया और उसने एक गुलाब का फूल दिया। देविका ने ले लिया और फिर एक और बच्चे ने आ कर मुझे एक कार्ड दिया। उस पर लिखा हुआ था। i love you देवू। देवू ये तो मुझे बस देव ही बोलता था। देविका इधर-उधर देव को ढूंढने लगी।
देव थोड़े देर में सामने से आता दिखा। आज राज ने शर्ट और पेंट में नहीं बल्कि जीन्स और टी-शर्ट में था। आँखों पर लगा चश्मा जेब में था और बाल थोड़े बिखरे हुए थे। देव को ऐसा देख देविका को पुराना देव याद आ गया था। जो हमेशा ऐसा ही रहता था। देव ने देविका का हाथ पकड़ा और कहा इस रंगीन शाम में मै वादा करता हु मै तुम्हारे साथ हमेशा रहूँगा। हमेशा तुम्हारे साथ रहूँगा। और हमेशा तुमसे प्यार करूंगा। i love you देवू। ये सब सुन देविका की आंखे आज नम हो गयी थी। आज उसे उसका देव जो मिल गया था।
प्यार कभी नया या पुराना नहीं होता।
ये तो बस बंधन होता है। कच्चे धागों का बंधन।

Friday 1 May 2015

तुम आओगी ना अनामता।

आज साल का आख़िरी दिन है 31.12.2014 रात के 12 बजने वाले है। नये साल के साथ मेरा जन्मदिन भी आने वाला था।
1.1.2015 आज मै 33 साल का हो गया हु। रात से कई रिश्तेदारों , कलिग और दोस्तों का फ़ोन आ चूका था। नए साल की मुबारकबाद के साथ जन्मदिन की बधाई भी दी सबने। लेकिन इस साल भी उसका फ़ोन नहीं आया। जिसका इंतज़ार मै 15 साल से कर रहा हु। देर रात तक फ़ोन के पास था की अब आएगा फ़ोन । जब भी रिंगटोन बजता मुझे लगता उसी का फ़ोन है लेकिन नहीं। देर तक आखों ने इंतज़ार किया लेकिन ना जाने कब थकी हुई आंखे सो गयी। ज़िन्दगी के इस पड़ाव पर भी मै कम्पलीट नहीं था। जब सभी लोग कम्पलीट हो चुके होते है।
बात तक की है जब मै 11th में था और वो 12th में। हम कई महीनों से जानते थे इक दुसरे को। लेकिन 12th में आते आते मुझे उससे मोह्बत हो गयी थी बेइनतहा मोह्बत। हमने कभी हिम्मत कर प्यार का इजहार नहीं किया था लेकिन हम इक-दुसरे की फ़िक्र करते थे , इक-दुसरे पर हक़ जताते थे। यही तो प्यार होता है, सोलह सतर साल वाला प्यार।
12th के बाद वो स्नातक के लिए शहर से दुर मुझसे कई मिलो दुर चली गयी थी। वो भी आज का ही दिन था एक जनवरी । जाते वकत उसके आँखों में आसु तो नहीं थे लेकिन उसके सुखे आँखों ने सब बया कर दिया था । शायद वो कल देर रात तक रोई थी , शायद कल रात वो देर से सोई थी।
समय हर ज़ख़्म भर देता है लेकिन प्यार के ज़ख्म को नहीं भर पाता। तभी तो आज तक मै उसके इंतज़ार में हु। तभी तो ता-उम्र अकेला रहा। उसने कहा था वो आएगी। मुझे यकीन है वो जरुर आएगी। तुम आओगी ना अनामता।