- हम तो ना किसी के हो सके और नाहीं अपना किसी को बना सके।
- शायर साहब, क्या करोगे यु घुट-घुट के जी के। हमें अपना हाल बताओ, हम भी बेगाने नहीं।
-हम बताना तो चाहते है पर बता नहीं पाते, कुछ चीज़े हम चाह कर भी बया नहीं कर पाते।
-हाँ कभी कभी नहीं बता पाते है, पर उनको साथ लेकर भी नहीं चला जा सकता। पाना ज़रूरी नहीं है, उस चीज़ को पाने की कोशिश ना छोड़ना ज़रूरी है।
-कहा तो सही है तुमने पर,
-तुम लिखते अच्छा हो और यकीनन आगे और अच्छा लिखोगे।
-इंसान चाहें जितना भी आगे चला जाए पीछे छोर आई गलतियां उसे हमेशा याद रहती है।
- नाउम्मीदी हमें जीने नहीं देती है, हम पीछे छोर आई गलतियों को भूल नहीं सकते पर उन्हें याद कर के जी भी नहीं सकते।
- कुछ बाते नाउम्मीदी की तरह है जितनी जल्दी चली जाती है उतनी ही जल्दी वापस भी आ जाती है।
- अगर बार बार कोई पुरानी बात दोहराए नहीं इसका मतलब ये थोड़ी है की वो भूल गए। जब सब भाग रहे है तो हमें कम से कम चलना तो पड़ेगा ना।
लोग ना जाने कब और किस घड़ी खुद को हारा हुआ महसूस करने लगते है और अगले ही पल किसी ख़ास से बात करने के बाद उन्हीं की बातों के हो कर रह जाते है।
Tuesday 29 December 2015
उनकी बातों के हो कर रह गए
Subscribe to:
Posts (Atom)