Friday, 1 May 2015

तुम आओगी ना अनामता।

आज साल का आख़िरी दिन है 31.12.2014 रात के 12 बजने वाले है। नये साल के साथ मेरा जन्मदिन भी आने वाला था।
1.1.2015 आज मै 33 साल का हो गया हु। रात से कई रिश्तेदारों , कलिग और दोस्तों का फ़ोन आ चूका था। नए साल की मुबारकबाद के साथ जन्मदिन की बधाई भी दी सबने। लेकिन इस साल भी उसका फ़ोन नहीं आया। जिसका इंतज़ार मै 15 साल से कर रहा हु। देर रात तक फ़ोन के पास था की अब आएगा फ़ोन । जब भी रिंगटोन बजता मुझे लगता उसी का फ़ोन है लेकिन नहीं। देर तक आखों ने इंतज़ार किया लेकिन ना जाने कब थकी हुई आंखे सो गयी। ज़िन्दगी के इस पड़ाव पर भी मै कम्पलीट नहीं था। जब सभी लोग कम्पलीट हो चुके होते है।
बात तक की है जब मै 11th में था और वो 12th में। हम कई महीनों से जानते थे इक दुसरे को। लेकिन 12th में आते आते मुझे उससे मोह्बत हो गयी थी बेइनतहा मोह्बत। हमने कभी हिम्मत कर प्यार का इजहार नहीं किया था लेकिन हम इक-दुसरे की फ़िक्र करते थे , इक-दुसरे पर हक़ जताते थे। यही तो प्यार होता है, सोलह सतर साल वाला प्यार।
12th के बाद वो स्नातक के लिए शहर से दुर मुझसे कई मिलो दुर चली गयी थी। वो भी आज का ही दिन था एक जनवरी । जाते वकत उसके आँखों में आसु तो नहीं थे लेकिन उसके सुखे आँखों ने सब बया कर दिया था । शायद वो कल देर रात तक रोई थी , शायद कल रात वो देर से सोई थी।
समय हर ज़ख़्म भर देता है लेकिन प्यार के ज़ख्म को नहीं भर पाता। तभी तो आज तक मै उसके इंतज़ार में हु। तभी तो ता-उम्र अकेला रहा। उसने कहा था वो आएगी। मुझे यकीन है वो जरुर आएगी। तुम आओगी ना अनामता।

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