Tuesday 29 December 2015

उनकी बातों के हो कर रह गए

- हम तो ना किसी के हो सके और नाहीं अपना किसी को बना सके।
- शायर साहब, क्या करोगे यु घुट-घुट के जी के। हमें अपना हाल बताओ, हम भी बेगाने नहीं।
-हम बताना तो चाहते है पर बता नहीं पाते, कुछ चीज़े हम चाह कर भी बया नहीं कर पाते।
-हाँ कभी कभी नहीं बता पाते है, पर उनको साथ लेकर भी नहीं चला जा सकता। पाना ज़रूरी नहीं है, उस चीज़ को पाने की कोशिश ना छोड़ना ज़रूरी है।
-कहा तो सही है तुमने पर,
-तुम लिखते अच्छा हो और यकीनन आगे और अच्छा लिखोगे।
-इंसान चाहें जितना भी आगे चला जाए पीछे छोर आई गलतियां उसे हमेशा याद रहती है।
- नाउम्मीदी हमें जीने नहीं देती है, हम पीछे छोर आई गलतियों को भूल नहीं सकते पर उन्हें याद कर के जी भी नहीं सकते।
- कुछ बाते नाउम्मीदी की तरह है जितनी जल्दी चली जाती है उतनी ही जल्दी वापस भी आ जाती है।
- अगर बार बार कोई पुरानी बात दोहराए नहीं इसका मतलब ये थोड़ी है की वो भूल गए। जब सब भाग रहे है तो हमें कम से कम चलना तो पड़ेगा ना।
लोग ना जाने कब और किस घड़ी खुद को हारा हुआ महसूस करने लगते है और अगले ही पल किसी ख़ास से बात करने के बाद उन्हीं की बातों के हो कर रह जाते है।

Tuesday 14 July 2015

                                     तू मुझको माफ़ कर 

मेरे यारा तू मुझको माफ़ कर
मेरे यारा तू दुबारा प्यार कर
मेरे प्यार ने तुझको कुछ ना दिया
मेरे यारा तू मुझको माफ़ कर
था बड़ा नादान मै
अपनी मंज़िल की तलाश में था
भूल गया था प्यार ही मेरी मंज़िल है
मेरे यारा तू मुझको माफ़ कर
मेरे यारा तू दुबारा दरकार कर
मेरे यार तू मुझको माफ़ कर
मेरे यारा तू दुबारा प्यार कर 

Tuesday 7 July 2015

मैने साजिश फिर कर डाली ,
ऊँगली को पिस्तौल बना ली ,
एक आँख को भींच के ,
गोली धम से चला डाली। 

Wednesday 1 July 2015

यु दीवार को तकते-तकते शाम हो जाती है,
यु दीवार पे ख़्वाब को बुनते-बुनते कई शाम गुजर जाती है।
कई रातो से सोया नहीं हुँ ,
बस यु दीवार को तकते-तकते गुजार दिए है,
इन दीवारो में दफ़न अपने आरज़ूओं की अश्थी को ढूंढते-ढूंढते कई शाम गुजार दी है। 

Wednesday 20 May 2015

बंधन कच्चे धागों का

05.05.2015 आज देव और देविका की शादी की पाँचवी सालगिरह है। देव भूल गया था और शायद देविका भी भूल गया थी। दोनों एक-दुसरे को कम और अपने-अपने काम को ज्यादा महत्व देते थे। कहने को तो दोनों एक ही ऑफिस में काम करते थे लेकिन एक साथ एक घर कभी नहीं बसा पाए थे। कल रात देव थोड़ा जल्दी आ गया था। देखा एक नोट रखा हुआ है टेबल पर उस पे लिखा था। आज रात लेट आउंगी । क्लाइंट के साथ मीटिंग और ऑफिस में काम है। देविका का नोट था। नोट वही बेड के ऊपर फेक फ्रिज खोल दिन का खाना निकाल उसे गर्म कर खाने लगा। अब देव को आदत हो गयी थी अकेले खाना खाने की। अकेले tv देखने की। देव और देविका रोज़ घुमने जाते थे। एक साथ फ़िल्म देखते थे। हाथो में हाथ डाल देर तक बाते किया करते थे। लेकिन शादी के कुछ सालों बाद पहले जैसा कुछ भी नहीं रहा था। देव और देविका अलग-अलग खाना खाते थे। कभी अकेले तो कभी किसी कलीग के साथ। फ़िल्म तो ना जाने कब देखी थी आख़िरी बार उन्होंने। एक फ़िल्म के दौरान जब हीरो ने हेरोइन का हाथ पकड़ उसे कभी ना छोर के जाने का वादा किया था। तब देव ने भी देविका का हाथ पकड़ उसे कभी ना छोर के जाने का वादा किया था।
मै आज इस रंगीन शाम में तुमसे एक वादा करता हु। ता-उम्र तुम्हारे साथ ऐसे ही रहूँगा। देव ने देविका से उस शाम वादा किया था। देव ने आगे बोल अगर मुझे कुछ हो गया तो भी मै देविका के साथ इन हवाओ की तरह रहूँगा। तब देविका ने देव को चुप करने के लिए उसके मूहं पर ऊँगली रख दी। और देव को ज़ोर से गले लगा लिया।
शादी के कुछ साल बाद देव और देविका शायद उस शाम किये वादे को भूल गए थे। देविका कल रात लेट आई थी। तब तक देव सो चूका था। सुबह दोनों तैयार हो रहे थे ऑफिस के लिए साथ ही दोनों अपने अपने फ़ोन पर किसी क्लाइंट से बात कर रहे थे। उन दोनों को एहसास ही नही था की वहा उन के आलावा कोई और भी है। घर से निकलते वकत देव ने फ़ोन पे बात करते ही कहा था मुझे अभी क्लाइंट के पास जाना है लेट आऊंगा। देविका भी फ़ोन पे बात करते हुए सर हिला के जबाब दिया।
यही ख़ामोशी थी जो दोनों के दूर कर रही थी। ऑफिस पहुचने पर लंच ब्रेक में दोनों को उनके कलिग ने जब सालगिरह की पार्टी मांगी तब दोनों को याद आया की आज उन दोनों की शादी की पांचवी सालगिरह है। इन सालो में दोनों कितने दूर हो गये थे , उनके रिश्तो में कितनी दूरी आ गयी ये देव और देविका को आज एहसास हुआ था।
'सुनो देविका' राज ने पुकारा था। दोनों दूर तो थे लेकिन आज भी देविका देव की आवाज़ पहचान जाती थी।
' हां बोलो' देविका ने कहा।
मुझे अभी कुछ काम से क्लाइंट के पास जाना है। देव ने कहा।
ठीक है वैसे भी मुझे अभी बहुत काम है ऑफिस में। देविका ने कहा।
देव हां में सर हिला के चला गया।
अक्सर हम शायद भूल जाते है प्यार करने के तरीके। शुरुआत का प्यार हमें अच्छा लगता है पर जैसे-जैसे प्यार पुराना होता जाता है हम प्यार को भी पुराना समझ लेते है।
देविका का फ़ोन vibrate हुआ।
देव का मैसेज आया था 'मुझे तुमसे कुछ बात करनी है, मंदिर के पास मिलने आ जाओ। देविका को थोड़ा आश्चर्य हुआ लेकिन फिर वो वहा को चली गयी जहा उसने देव के साथ प्यार के प़ल बिताये थे। वहा पहुचने पर देविका ने देखा कुछ बच्चे खेल रहे थे। उनमे से एक बच्चा देविका के पास आया और उसने एक गुलाब का फूल दिया। देविका ने ले लिया और फिर एक और बच्चे ने आ कर मुझे एक कार्ड दिया। उस पर लिखा हुआ था। i love you देवू। देवू ये तो मुझे बस देव ही बोलता था। देविका इधर-उधर देव को ढूंढने लगी।
देव थोड़े देर में सामने से आता दिखा। आज राज ने शर्ट और पेंट में नहीं बल्कि जीन्स और टी-शर्ट में था। आँखों पर लगा चश्मा जेब में था और बाल थोड़े बिखरे हुए थे। देव को ऐसा देख देविका को पुराना देव याद आ गया था। जो हमेशा ऐसा ही रहता था। देव ने देविका का हाथ पकड़ा और कहा इस रंगीन शाम में मै वादा करता हु मै तुम्हारे साथ हमेशा रहूँगा। हमेशा तुम्हारे साथ रहूँगा। और हमेशा तुमसे प्यार करूंगा। i love you देवू। ये सब सुन देविका की आंखे आज नम हो गयी थी। आज उसे उसका देव जो मिल गया था।
प्यार कभी नया या पुराना नहीं होता।
ये तो बस बंधन होता है। कच्चे धागों का बंधन।

Friday 1 May 2015

तुम आओगी ना अनामता।

आज साल का आख़िरी दिन है 31.12.2014 रात के 12 बजने वाले है। नये साल के साथ मेरा जन्मदिन भी आने वाला था।
1.1.2015 आज मै 33 साल का हो गया हु। रात से कई रिश्तेदारों , कलिग और दोस्तों का फ़ोन आ चूका था। नए साल की मुबारकबाद के साथ जन्मदिन की बधाई भी दी सबने। लेकिन इस साल भी उसका फ़ोन नहीं आया। जिसका इंतज़ार मै 15 साल से कर रहा हु। देर रात तक फ़ोन के पास था की अब आएगा फ़ोन । जब भी रिंगटोन बजता मुझे लगता उसी का फ़ोन है लेकिन नहीं। देर तक आखों ने इंतज़ार किया लेकिन ना जाने कब थकी हुई आंखे सो गयी। ज़िन्दगी के इस पड़ाव पर भी मै कम्पलीट नहीं था। जब सभी लोग कम्पलीट हो चुके होते है।
बात तक की है जब मै 11th में था और वो 12th में। हम कई महीनों से जानते थे इक दुसरे को। लेकिन 12th में आते आते मुझे उससे मोह्बत हो गयी थी बेइनतहा मोह्बत। हमने कभी हिम्मत कर प्यार का इजहार नहीं किया था लेकिन हम इक-दुसरे की फ़िक्र करते थे , इक-दुसरे पर हक़ जताते थे। यही तो प्यार होता है, सोलह सतर साल वाला प्यार।
12th के बाद वो स्नातक के लिए शहर से दुर मुझसे कई मिलो दुर चली गयी थी। वो भी आज का ही दिन था एक जनवरी । जाते वकत उसके आँखों में आसु तो नहीं थे लेकिन उसके सुखे आँखों ने सब बया कर दिया था । शायद वो कल देर रात तक रोई थी , शायद कल रात वो देर से सोई थी।
समय हर ज़ख़्म भर देता है लेकिन प्यार के ज़ख्म को नहीं भर पाता। तभी तो आज तक मै उसके इंतज़ार में हु। तभी तो ता-उम्र अकेला रहा। उसने कहा था वो आएगी। मुझे यकीन है वो जरुर आएगी। तुम आओगी ना अनामता।

Saturday 25 April 2015

क्या प्यार वकत के साथ पुराना हो जाता है।

आज ना जाने क्यों नींद भी नहीं आ रही थी। रात के 12 बजने वाले थे लेकिन नींद का नामो निशान नहीं था। कल सुबह ऑफिस में भी रिपोर्ट करना है। ऑफिस के काम से ही घर से दुर हु।
अभी घर पर पंडित जी मंत्र पढ़ रहे होंगे , माँ तो आज अपने बेटे के लिए बहुत खुश होंगी और पापा जरुर शर्मा अंकल के साथ होंगे। चाचा -चाची , ताया -ताई जी सब वहा होंगे, सिवाए मेरे। मुननी और छोटू ने तो पुरे घर में उधम मचा रखा होगा।
आज भईया की शादी है अनामता से। मेरी अनामता से। अनामता शर्मा अंकल की बेटी है। हम एक दुसरे को कई सालो से जानते थे। लेकिन पिछले 6 सालो से हम एक अनोखे रिश्ते में थे। हम प्यार के रिश्ते में थे। 6 साल का रिश्ता मैने ना जाने क्यों तोड़ दिया था, बिना कुछ सोचे बिना कुछ समझे। शायद प्यार वक़त के साथ पुराना होता चला जाता है। इसीलिए मुझे अनामता और उसका प्यार भी पुराना लगने लगे थे।
ऑफिस के काम के बहाने से आज शहर से कई मिलो दुर आ तो गया था , लेकिन अनामता से दुर नहीं आ पाया था। आज मै किसी गुन्हेगार की तरह महसुस कर रहा था । ना जाने क्यों मैने मुझसे इतना प्यार करने वाली लड़की और खुद इतनी प्यारी लड़की का दिल दुखाया था।
मुझे यकीन है आज अनामता को एक सच्चा और अच्छा जीवन साथी मिल रहा है। भईया के रूप में।
आज अनामता को मुझसे भी ज्यादा अच्छा पती मिल रहा है। भईया के रूप में।

Wednesday 22 April 2015

कलाकार और सरकार

किसी कलाकार को कोई भी नहीं रोक सकता है लोगों तक पहुचनें में चाहे वो सरहद हो या सरहद पार सरकार।
दो सरहदों की दुरिया कलाकार कम करते है और सरकार उन्हें बढ़ाती है।
"यही फर्क है कलाकार और सरकार में"

Monday 6 April 2015

पापा आपको याद है ना।

पापा आप सुन रहे है न आप हमेशा ऐसे ही रहना। कभी मत बदलियेगा। पापा आपको तो याद होगा जब मेरा जन्म हुआ था तब आप कितने खुश थे। इतने की मनोहर अंकल के साथ हॉस्पिटल में ही डांस करने लगे थे। वो बात अलग है आप डांस अच्छा नहीं करते लेकिन दादा जी ने बताया था उस दिन आप किसी भी डांसर से कम नहीं थे। जब आपने मुझे अपने हाथो में लिया था तब मेरे नन्हे शरीर ने आपके हाथो में अपने सोने कई जगह बना ली था। मुझे अभी तक याद है पापा। उस समय मै सबसे मेहफ़ुज़ हाथो में था। मुझे हाथ में लेते वक़्त आप ख़ुशी के कारन रोने लगे थे। और फिर अपने सबको सख्त हिदायात दी थी की कोई भी मुझे ज्यादा कस के नहीं पकड़ेगा। कोई भी मुझे ज्यादा देर तक गोद में  नहीं रखेगा। और सोते वक़्त कोई मुझे distrub नहीं करेगा। मेरी हमेशा से अपने फिकर की है। हमेशा आप जितना खुद पे ध्यान नही देते उससे ज्यादा मुझ पर ध्यान देते है। नंदनी तुम देव का ठीक से ध्यान नही रखती। हटो मुझे दो देव, यही कहा था ना आपने और मुझे माँ के हाथो से ले कर मेरा diaper बदलने लगे थे आप। दादा जी और माँ ने मुझे सब बता दिया है। आप किस तरह मेरा ध्यान रखते थे । जब मै रोने लगता था तब आपको पता नहीं क्या हो जाता था आप पुरे घर को सर पर उठा लेते थे। माँ ने बताया था एक बार जब मै रात में रोने लगा था तब अपने पता नही क्या-क्या किया था मुझे चुप कराने के लिए। दुध की बोतल से दूध पिलाने की  कोशिश की, झुन झुना बजाया , यहाँ तक की अपने अजीब अजीब से चेहरे बना के चुप करने की कोशिश की। बाद में जब माँ वहा आई तो उन्होंने मेरा गिला diaper देखा उसे बदला।अगर माँ उस रात वहा नही आती तो आप पूरी रात वही सब करते रह जाते। माँ ने हस्ते हुए कहा औरतो का काम औरतो को ही शोभा देते है। आप देव के लिए कुछ ज्यादा ही सोचने लगते है। तो आपने अपना सीना चौडा करते हुए कहा देख लेना मेरा बेटा मुझसे भी आगे जाएगा।और मेरा इससे ज्यादा ख्याल रखेगा देख लेना तुम।
पापा याद है आपको जब मै पहले दिन स्कूल जाने वाला था तब मुझसे ज्यादा आप डरे हुए थे।पता नहीं कितने स्कूलो के चक्कर लगाने के बाद आपको कोई स्कूल पसन्द आया था।
आपने प्रिंसिपल mam से ना जाने क्या क्या कहा था आखिर में mam ने ही बोल आप चिंता मत कीजिए देव का ख्याल हैम अच्छे से रखेंगे। तब आपने झूटी हँसी हँसने की कोशिश की थी पर आप हँस नहीं पाए थे क्योंकि आपको डर था ना जाने बाकि बच्चे कैसे होंगे। मुझे कोई तकलीफ तो नहीं होगी ना।
पापा आपको याद है जब मै क्लास की तरफ जा रहा था तब मुझे भी डर लग रहा था स्कूल में पहला दिन है इसीलिए नहीं बल्कि इसीलिए की आप पता नहीं आज ऑफिस में कैसे रह पायँगे। क्लास में जाते वक़्त मै रोने लगा था तब आप पुरे 2 period मेरे साथ बैठे थे। mam के इतने कहने पर भी आप नहीं गए थे आप mam से कहते देव को मेरी जरूरत है मैं कैसे अकेला छोर के जा सकता हु। उस दिन आप कितनी मुश्किल सइ गए थे मुझे आज भी याद है।.
पापा आपको याद है जब 8th क्लास में करन ने मेरी बॉल ले ली थी तब मै रोते रोते आपके पास आया था तब आपने ना आओ देखा ना ताओ देखा करन के पापा से लड़ने चले गए।आपने मेरा ख्याल बहुत अच्छे से रखा है पापा।
पापा आपको याद है जब 12th के बोर्ड के इएग्जाम थे तब मेरे साथ आप भी रात रात भर युही स्टडी टेबल के पास चेयर पर बैठते थे। और जब मुझे नींद आने लगती थी तब मेरा माथा सेहला के , माथे को चूमा करते थे फिर दूध गर्म कर के मेरे लिए लिए आते थे। अपका यु रात रात भर जागना माँ को बिलकुल पसन्द नहीं था। वो कहती आप जो यु देव के साथ रात रात भर जग के पढ़ते है आपको बता दू की एग्जाम देव का है ना की आपका। आप माँ की ईन बातो को हस कइ टाल देते थे। पापा आप ही मेरे सबसे अच्छे दोस्त है।
आपको याद है पापा जब हम पिकनिक पर गए थे तब झूले वाले ने झूला कम झुलाया था लेकिन मुझे और झुलना था तब आपने झूले वाले को ज्यादा पैसे दे कर मुझे झूला झुलवाय था।
पापा आपको याद है जब मेरे बोर्ड में 91% आये थे तब आपने पुरे मोहल्ले में मिठाई बतवाए थे। मुझे आगे अपनी ज़िन्दगी में क्या करना है इसकी अपने पूरी झूट दी थी।
पापा आपको याद है जब दिल्ली के टॉप कॉलेज में मेरा एडमिशन कराने के लिए अपने कितने पसीने बहाये थे। जब मेने आपको अपनी कॉलेज की इक दोस्त रेशमा से मिलाया था। तब आपने मेरी टांग खीचते हुए कहा था फिर कब जाऊ रेशमा के पापा के पास। आपको याद है ना पापा।
पापा आपको तो याद ही होगा। जब आप हॉस्पिटल के बेड पे लेटे हुए थे तब मै कितना रोया था।आपने देखा था ना पापा, आपको याद है ना। आपके पास बैठे मै आपकी और मेरी कितनी सारी पुरानी बाते करता था आपको याद है ना पापा। आपके जाने के बाद स्कूल में पहले दिन कया क्या हुआ था मेरे साथ मैने आपको बताया था पापा आपको याद है ना पापा।
आज रेशमा से मेरी शादी हो गयी उसके पापा से बात करने के लिए आप नहीं थे पापा। आप मेरे सबसे अच्छे दोस्त थे और हमेशा रहेंगे। आपको तो याद है ना पापा मै कितना miss करता हुँ आपको। miss you papa

मै घर आ रहा हुँ

मैं घर आ रहा हूँ ,दुनिया को बता देना।
तुमसे मिलने आ रहा हूं , दुनिया को बता देना।
बारिश के पानी से कल के सभी दर्द धो लेने , मै घर आ रहा हुँ।
मैं जानता हूँ तुम इंतजार कर रही हो इसीलिए मै घर आ रहा हुँ।
तुमने मेरी गलतियाँ माफ कर दिए है।
इसीलिए मैं घर आ रहा हूँ , दुनिया को बता देना मैं आ रहा हुँ।

मैं वापस आ गया हूँ जहा से गया था। मुझे कभी नहीं लगा इतना मजबूत है हमारा रिश्ता।
मुझे नहीं लगता है ऐसा कुछ भी है जो हम करने की कोशिश नहीं कर सकते। अगर तुम मेरे साथ हाथो में हाथ डाले चलो , तो
ऐसा कुछ भी नही है जो हम नही कर सकते।
इसीलिए मै घर आ रहा हुँ, दुनिया को बता देना।

Saturday 4 April 2015

ब्लॉग लिख डाला।

धुन्धले पड़े कागज़ को पड़ने की कोशिश करते-करते ,
युही किसी दिन एहसास हुआ उम्र से झूझते-झूझते ।
हमने एक ब्लॉग लिख डाला।
नई सड़क पर जाकर एक क़स्बा बना डाला, ये ब्लॉग ना पिला पड़ेगा ,ना मुरझायेगी ।
बस हर दिन के साथ, नई कहानियों के साथ चाहने वालो के दिल में बस्ता चला जायेगा।

राज का प्यार

मै कायर नहीं हूँ नंदनी, विश्वास करो मुझ पर । 'राज ने बुझे मन से कहाँ।
तुम कायर हो राज , तुम जितनी जल्दी मान लोगे तुम्हारे लिए अच्छा होगा। 'नंदनी ने थोडा गुस्से में कहाँ। मेने उसे इसीलिए कुछ नही किया क्योंकि मुझे डर था की कही वो तुम्हे कुछ ना कर बैठे। नंदनी ये सब सुन चुप-चाप उस सुनसान सड़क पर खड़ी थी। फिर उसकी आँखों के सामने थोड़े देर पहले हुए वाक्या की तस्वीर एक-एक कर  उसके सामने आने लगे।
राज और नंदनी फ़िल्म देख 11बजे प्रिया सिनेमा से बाहर आकर कुल्फ़ी की दूकान की तरफ जा रहे थे तभी एक Bike नंदनी के पास आ कर रुकी। नंदनी थोडा डर गयी क्योंकि पिछली शीट पे बैठे शक़्स के पास एक Gun थी। राज कुछ कर पाता इससे पहले उस शक़्स ने नंदनी पर Gun तान दी। और राज की तरफ देखा राज समझ गया था उसको क्या चाहिए राज ने सबसे पहले अपना पर्स निकाला फिर घडी। वो अपनी चैन नहीं देना चाहता था क्योंकि आज उसके जन्मदिन पर नंदनी ने पिछले कई महीनो से जमा कीए गए पैसो से खरीदी थी। पर नंदनी के उपर तनी हुई Gun को देख राज ने पर्स , घडी और वो चैन भी बाइक सवार  को दे दी। फिर वो बाइक सवार चले गए।
अचानक नंदनी का ध्यान टुटा और वो राज के गले से लग कर जोर-जोर से रोने लगा।

दिक्कतो की सुनहरी यादें

ज़िन्दगी में ना जाने कितनी दिक्कते आती है। जिन्हें गिनना या याद रखना नामुमकिन है। कभी-कभी लगता है, जिन्दगी में दिक्कत है या दिक्कत में ज़िन्दगी है।
ज़िन्दगी में हर कदम पर परेशानी , दिक्कते है। बस लोग इसे अपने अनुभव के हिसाब से इसे नाम देते है।
कोई इसे किस्मत कोई नसीब तो कोई भगवन की मर्जी कहते है । पर
"किसी ने सही कहा है अगर ज़िन्दगी में दिक्कते परेशानियां नहीं होगी तो वो ज़िन्दगी बेकार सी लगने लगती है।"