Saturday 4 April 2015

ब्लॉग लिख डाला।

धुन्धले पड़े कागज़ को पड़ने की कोशिश करते-करते ,
युही किसी दिन एहसास हुआ उम्र से झूझते-झूझते ।
हमने एक ब्लॉग लिख डाला।
नई सड़क पर जाकर एक क़स्बा बना डाला, ये ब्लॉग ना पिला पड़ेगा ,ना मुरझायेगी ।
बस हर दिन के साथ, नई कहानियों के साथ चाहने वालो के दिल में बस्ता चला जायेगा।

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