Saturday 4 April 2015

राज का प्यार

मै कायर नहीं हूँ नंदनी, विश्वास करो मुझ पर । 'राज ने बुझे मन से कहाँ।
तुम कायर हो राज , तुम जितनी जल्दी मान लोगे तुम्हारे लिए अच्छा होगा। 'नंदनी ने थोडा गुस्से में कहाँ। मेने उसे इसीलिए कुछ नही किया क्योंकि मुझे डर था की कही वो तुम्हे कुछ ना कर बैठे। नंदनी ये सब सुन चुप-चाप उस सुनसान सड़क पर खड़ी थी। फिर उसकी आँखों के सामने थोड़े देर पहले हुए वाक्या की तस्वीर एक-एक कर  उसके सामने आने लगे।
राज और नंदनी फ़िल्म देख 11बजे प्रिया सिनेमा से बाहर आकर कुल्फ़ी की दूकान की तरफ जा रहे थे तभी एक Bike नंदनी के पास आ कर रुकी। नंदनी थोडा डर गयी क्योंकि पिछली शीट पे बैठे शक़्स के पास एक Gun थी। राज कुछ कर पाता इससे पहले उस शक़्स ने नंदनी पर Gun तान दी। और राज की तरफ देखा राज समझ गया था उसको क्या चाहिए राज ने सबसे पहले अपना पर्स निकाला फिर घडी। वो अपनी चैन नहीं देना चाहता था क्योंकि आज उसके जन्मदिन पर नंदनी ने पिछले कई महीनो से जमा कीए गए पैसो से खरीदी थी। पर नंदनी के उपर तनी हुई Gun को देख राज ने पर्स , घडी और वो चैन भी बाइक सवार  को दे दी। फिर वो बाइक सवार चले गए।
अचानक नंदनी का ध्यान टुटा और वो राज के गले से लग कर जोर-जोर से रोने लगा।

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