Saturday 25 April 2015

क्या प्यार वकत के साथ पुराना हो जाता है।

आज ना जाने क्यों नींद भी नहीं आ रही थी। रात के 12 बजने वाले थे लेकिन नींद का नामो निशान नहीं था। कल सुबह ऑफिस में भी रिपोर्ट करना है। ऑफिस के काम से ही घर से दुर हु।
अभी घर पर पंडित जी मंत्र पढ़ रहे होंगे , माँ तो आज अपने बेटे के लिए बहुत खुश होंगी और पापा जरुर शर्मा अंकल के साथ होंगे। चाचा -चाची , ताया -ताई जी सब वहा होंगे, सिवाए मेरे। मुननी और छोटू ने तो पुरे घर में उधम मचा रखा होगा।
आज भईया की शादी है अनामता से। मेरी अनामता से। अनामता शर्मा अंकल की बेटी है। हम एक दुसरे को कई सालो से जानते थे। लेकिन पिछले 6 सालो से हम एक अनोखे रिश्ते में थे। हम प्यार के रिश्ते में थे। 6 साल का रिश्ता मैने ना जाने क्यों तोड़ दिया था, बिना कुछ सोचे बिना कुछ समझे। शायद प्यार वक़त के साथ पुराना होता चला जाता है। इसीलिए मुझे अनामता और उसका प्यार भी पुराना लगने लगे थे।
ऑफिस के काम के बहाने से आज शहर से कई मिलो दुर आ तो गया था , लेकिन अनामता से दुर नहीं आ पाया था। आज मै किसी गुन्हेगार की तरह महसुस कर रहा था । ना जाने क्यों मैने मुझसे इतना प्यार करने वाली लड़की और खुद इतनी प्यारी लड़की का दिल दुखाया था।
मुझे यकीन है आज अनामता को एक सच्चा और अच्छा जीवन साथी मिल रहा है। भईया के रूप में।
आज अनामता को मुझसे भी ज्यादा अच्छा पती मिल रहा है। भईया के रूप में।

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